Simran Ansari

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द हाॅन्टिंग मर्डर्स : पार्ट - 8




वहां जमीन में मिट्टी से बने पैरों के निशान का पीछा करते हुए, मोहित और तृषा घर के दरवाजे के पास पहुंचे ही थे कि एक लड़की चिल्ला कर भागती हुई उन दोनों की तरफ आई और मोहित से टकरा गई, उस के पीछे एक लड़का भी था, वह भी लगभग उस लड़की की तरह ही डरा सहमा हुआ लग रहा था लेकिन उस से थोड़ा कम...

मोहित ने उस लड़की को संभाल कर खड़ा करते हुए, उस के दोनों कंधों को कसकर पकड़ लिया था और उसे शांत कराते हुए बोला - "रिलैक्स! क्या हुआ... क्या हुआ आप को और आप यहां क्या कर रही हैं?"

तृषा भी उन दोनों को अजीब नज़रों से ही घूर कर ऊपर से नीचे तक देख रही थी, लड़की के साथ ही उस लड़के के चेहरे पर भी पसीना था और साफ पता चल रहा था कि डर और घबराहट की वजह से, उन दोनों की सांसें भी तेज़ चल रही थी।

"वो... वो... अंदर वहां पर कुछ था... हां.. वहां पर था बहुत ही अजीब सा..." - वो लड़की उसी तरह से घबराती हुई सी बोली लेकिन वो लड़का अभी भी चुप था, उस के मुंह से एक लफ्ज़ भी नहीं निकला तो तृषा ने उस लड़के की तरफ देख कर कहा - "तुम गूंगे हो क्या या फिर सदमे से आवाज नहीं निकल रही ऐसा क्या देखा, बताओ तो कुछ!"

"पानी... पानी मिलेगा क्या?" - अपने माथे पर आए पसीने की बूंदों को अपने हाथों से पोंछता हुआ वह लड़का तृषा की तरफ देख कर अपनी बेतरतीब सांसो को सामान्य करते हुए बड़ी मुश्किल से सिर्फ इतना ही बोल पाया।

इस पर तृषा ने एक नज़र मोहित की तरफ देखा और फिर मोहित में जब अपनै पलकें झपका कर "हां" में इशारा किया तो तृषा ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाल कर, उस लड़के की तरफ बढ़ा दी और फिर थोड़ा पानी पीने के बाद लड़के ने बोतल तृषा को वापस की तो तृषा ने पानी की बोतल उस लड़की की तरफ बढ़ा दी और फिर उस लड़की ने बड़ी मुश्किल से सिर्फ दो घूंट पानी पिया, वह शायद अभी तक नॉर्मल नहीं हो पाई थी।

"चलिए यहां से, यहां इस वक्त आना बिल्कुल भी सेफ नहीं है।" - वो लड़का आगे की तरफ बढ़ता हुआ बोला तो लड़की भी उस अपने साथ वाले लड़के के पीछे ही आने लगी और मोहित और तृषा को अभी भी सही से कुछ समझ नहीं आया था, इसलिए उन दोनों को भी उन दोनों के पीछे ही आना पड़ा।

"1 मिनट, रुको तुम दोनों..." - मोहित उन के पीछे आता हुआ बोला

"हमारे सवालों के जवाब तो दो पहले..." - तृषा जल्दी से उन के सामने आ कर उन का रास्ता रोकती हुई बोली

"क्या जानना है?" - उस लड़की ने तृषा की तरफ देखते हुए कहा, अब वो पहले से काफी सामान्य लग रही थी।

"अब नाम, पता, उम्र और परिवार के बारे में तो पूछेंगे नहीं ना ऐसी सिचुएशन में? क्योंकि शादी तो करनी नहीं आप से मैडम जी हमें।" - मोहित हमेशा की तरह अपने व्यंगात्मक अंदाज में बोला तो तृषा ने उसे लगभग खा जाने वाली नजरों से घूर कर देखा।

"कौन हो तुम दोनों और यहां पर क्या कर रहे थे?" - तृषा ने आखिरकार उन दोनों से सीधे लफ्जों में पूछ ही लिया।

"और हम दोनों तुम्हें यह क्यों बताएं?" - उस लड़की के साथ खड़ा लड़का थोड़े तेढ़े स्वर में बोला

"ठीक है मत बताओ हमें, मैं पुलिस को कॉल लगाती हूं पुलिस को ही बताना सीधे।" - तृषा अपना मोबाइल निकालते हुए बोली

"पुलिस आएगी तो तुम लोगों से भी तो सवाल जवाब करेगी!" - वह लड़की काफी समझदारी से बात संभालती हुई बोली तो तृषख ने अपने नंबर डायल करते हुए हाथ रोक लिए और पहले तृषा ने उस लड़की की तरफ देखा और फिर मोहित की तरफ देखने लगी।

"वैसे आप की जानकारी के लिए बता दूं मैडम, कि हम कुछ गलत नहीं कर रहे थे यहां; इसलिए हमें पुलिस का कोई डर नहीं है।" - मोहित पूरे कॉन्फिडेंस के साथ बोला

"गलत तो कुछ हज्ञ भी नहीं कर रहे थे, बस केस बारे में थोड़ी छानबीन।" - उस लड़के ने मोहित से कहा

"हो कौन तुम दोनों?" - तृषा ने फिर से सवाल किया

"आई एम अंजलि फ्रॉम एम एन 24 चैनल मैं एक रिपोर्टर हूं और यह मेरे साथ ही काम करता है, कैमरामैन राजीव।" - अंजलि अपना और अपने साथी का संक्षिप्त परिचय देती हुई बोली

"ओह न्यूज़ चैनल वाले हो, फालतू में इतना टाइम वेस्ट कर दिया हमारा।" - मोहित निराश होते हुए बोला और बाकी तीनों को वही छोड़ कर घर के अंदर की तरफ जाने लगा।

"मेरे ख्याल से आप को अंदर नहीं जाना चाहिए क्योंकि कुछ तो गड़बड़ है वहां पर!" - अंजली मोहित को रोकती हुई बोली लेकिन मोहित अनसुना कर के फिर भी उस तरफ ही बढ़ गया।

"और क्यों नहीं जाना चाहिए उसे अंदर?" - तृषा ने अपनी एक आईब्रो अप करते हुए अंजली की तरफ देख कर सवाल किया

"क्योंकि इस घर के बारे में जो अफवाहें हैं वह अफवाह नहीं सच है अंदर सच में भूत है इस ने देखा है और मैंने भी।" - बोलते हुए राजीव के चेहरे पर फिर से वही डर नज़र आ रहा था जो कि अभी थोड़ी देर पहले भी उन दोनों के चेहरों पर था।

"भूत वूत कुछ नहीं होता, गलतफहमी हो गई होगी तुम लोगों को इतना पुराना और काफी दिनों से बंद है ना यह घर।" - तृषा उन दोनों को समझाती हुई बोली

"हां, मुझे भी पहले यही लगा था इसीलिए तो हिम्मत की रात के इस वक्त यहां पर आ कर सबूत ढूंढने और सच का पता लगाने की, लेकिन अपना आंखों देखा तो नहीं झूठला सकती ना मैं।" - तृषा की बात सुन कर अंजली एकदम सीरियस होती हुई बोली उस के चेहरे पर इस वक्त कोई भी भाव नहीं थी।

उस की तरफ देख कर, एक बार को तो तृषा भी डर गई लेकिन फिर उस की बातों को अपने दिमाग से झटकती हुई बोली - "ठीक है, तुम लोगों को नहीं जाना अब अंदर तो तुम लोग वापस जा सकते हो बस किसी से बताना मत हमारे बारे में कि हमें यहां पर देखा, हम भी इस केस के बारे में पता लगाने आए हैं। 

"मोहित अंदर गया है ना वह पकड़ लेगा तुम्हारे भूत को।" - तृषा हंसती हुई बोली और उन दोनों को वहीं पर छोड़ कर मोहित के पीछे ही, घर के दरवाजे की तरफ जाने लगी अंजली और राजीव ने मायूसी से एक नज़र एक दूसरे की तरफ देखा और फिर वो दोनों उसी तरह से बाउंड्री वॉल फांद कर वहां से बाहर आ गए।

"यार मोहित! तू रुका क्यों नहीं वहां पर... क्या पता कोई और इनफॉरमेशन मिल जाती उन लोगों से, जर्नलिस्ट थे वह दोनों!" - उस घर के अंदर आती हुई तृषा ने मोहित से कहा

"मैं अपना काम दूसरों के भरोसे पर शुरू नहीं करता तृषा! और तुझे यह बात अच्छी तरह से पता है।" - मोहित बिना तृषा की तरफ देखे जमीन पर इधर-उधर बारीकी से छानबीन करता हुआ सा बोला

"हां... हां... पता है... पता है, ज्यादा महान मत बना कर तू मेरे सामने" - उस की बातें सुन कर तृषा मुंह बिचकाती हुई बोली

"यहां तो कहीं दिख नहीं रहा, ब्रेसलेट कहां गिराया था तूने अपना?" - अब मोहित ने तृषा की तरफ देख कर सवाल किया

"कैसे सवाल करता है यार तू, अगर मुझे पता होता तो आ कर खुद ही ना उठा लेती मैं सब से पहले‌।" - तृषा फिर से उसी तरह से बोली

"कल तो बोल रही थी कि अच्छा हुआ गिर गया और अब बोल रही है कि सब से पहले उठा लेती; कुछ समझ नहीं आता मुझे तेरा..." - मोहित ने कंफ्यूजन से उस की तरफ देखते हुए कहा

"अरे मेरा वो मतलब नहीं है... मैं तो बस इसलिए उठा लेती क्योंकि अपना कोई सामान छूटने नहीं देना चाहिए ना ऐसी जगह पर और अब तो देखा भी मैंने कि हम सिर्फ अकेले नहीं हैं जो ऐसे चोरी-छिपे आ रहें हैं यहां पर।" - तृषा मोहित की बात पर उसे समझाती हुई बोली

"चल अच्छा तेरा ब्रेसलेट ना सही, लेकिन कुछ और तो मिल ही जाएगा ध्यान से ढूंढते हैं तु उस तरफ देख और मैं इधर देखता हूं।" - मोहित ने तृषा को हाथ से इशारा करते हुए कहा

"ठीक है" - बोलती हुई तृषा भी उस तरफ ही चली गई और कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगी कि शायद कुछ तो ऐसा मिले जो उन लोगों को इन्वेस्टिगेशन में थोड़ा आगे ले जाए।

"मोहित... मोहित... जल्दी इधर आओ उधर कुछ है उस तरफ कुछ देखा मैंने, जल्दी आओ... जल्दी..." - तृषा अपनी जगह से थोड़ा पीछे हटते हुए चिल्लाती हुई बोली

"शशश्श्श्! चुप हो जाओ तृषा, धीरे से बोलो थोड़ा, क्या पता कोई हो आस-पास ही तुम्हारी आवाज सुन लेगा तो..." - पीछे से आता हुआ मोहित अपने हाथों से तृषा का चिल्लाता हुआ मुंह बंद करते हुए बोला

लेकिन तृषा हैरानी से अपनी आंखें बंद करके एक तरफ उंगली से मोहित को इशारा कर रही थी और साथ ही मोहित का हाथ हटाने को भी बोल रही थी और जैसे ही मोहित ने अपना हाथ उस के मुंह पर से हटाया।

"मोहित वो उधर वहां पर...सांप... सांप देखा मैंने, सच में एक सांप ही था... बिलीव मी मोहित!" - मोहित के हाथ हटाते ही तृषा उसे घबरा कर पूरी बात बताती हुई बोली



क्रमशः


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2 Comments

Abhinav ji

06-Apr-2022 08:06 AM

Very nice 👍

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Inayat

05-Mar-2022 01:21 AM

Bahut khoob

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